LYRIC

सोचा ना क्यों ना समझा क्यों
मैंने तुझे ही चाहा है
ना जाने क्यों तू ही है सब
मैंने तुझे ही माँगा है

सोचा ना क्यों ना समझा क्यों
मैंने तुझे ही चाहा है
ना जाने क्यों तू ही है सब
मैंने तुझे ही माँगा है

तेरी उन यादो को
मैं ना भुला पाया
तेरी उन बातो को
मैं ना भुला पाया

कैसे भी तू आजा अब
मुझको फिर हँसाने को
सोचा ना क्यों समझा क्यों
मैंने तुझे ही चाहा है

ना जाने कितनी रातें बीती इस
भरोसे पे
कि आओगे कभी तुम उस झरोखे पे
कि बदलेगी हवा कभी हमारे शहर
की भी
और हम रह गए इसी धोखे में

हाल-ए-दिल जो बीता है बताएँगे
उन दिनों जो लिखे गीत वो
सुनायेंगे
हाँ आएगी घड़ी कभी उस पहर की
भी
जब हम तुम्हे हसाएंगे

कैसे भी तू आजा अब
मुझको फिर हँसाने को

सोचा ना क्यों ना समझा क्यों
मैंने तुझे ही चाहा है

सोचा ना क्यों ना समझा क्यों
मैंने तुझे ही चाहा है
ना जाने क्यों तू ही है सब
मैंने तुझे ही माँगा है

सोचा ना क्यों ना समझा क्यों
मैंने तुझे ही चाहा है
ना जाने क्यों तू ही है सब
मैंने तुझे ही माँगा है

सोचा ना क्यों ना समझा क्यों
मैंने तुझे ही चाहा है
ना जाने क्यों तू ही है सब
मैंने तुझे ही माँगा है …

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