LYRIC

जब जब तेरे पास मैं आया
इक सुकून मिला
जिसे मैं था भूलता आया वो वजूद मिला
जब आए मौसम ग़म के तुझे याद किया

हो.. जब सहमे तन्हांपन से तुझे याद किया

हम्म.. दिल, संभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल.. यहीं रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

ऐसा क्यूँ कर हुआ
जानू ना, मैं जानू ना
हो… दिल संभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल.. यहीं रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

जिस राह पे, है घर तेरा
अक्सर वहाँ से हाँ मैं हूँ गुज़रा
शायद यही, दिल में रहा
तू मुझको मिल जाए क्या पता
क्या है ये सिलसिला
जानू ना, मैं जानू ना

हो.. दिल संभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल.. यहीं रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

कुछ भी नहीं, जब दरमियाँ
फिर क्यूँ है दिल तेरे ही ख्वाब बुनता
चाहा की दे, तुझको भुला
पर ये भी मुमकिन हो ना सका..

क्या है ये मामला, जानू ना, मैं जानू ना
दिल संभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल.. यहीं रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल संभल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

Added by

Admin

SHARE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT